New Criminal Law: आज़ादी के 75 साल बाद अंग्रेजी कानून ख़त्म, स्वदेशी कानून लागू.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1 जुलाई को कहा कि सोमवार को लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून (New Criminal Law) भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दूरगामी बदलाव लाएंगे और न्यायिक प्रक्रिया की गति को बढ़ाने में मदद करेंगे।
नए कानून – भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita – BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bharatiya Sakshya Adhiniyam – BSA) – ने क्रमशः ब्रिटिश काल के आईपीसी (IPC) , दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की जगह ली है।
शाह ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “सबसे पहले मैं देश के लोगों को बधाई देना चाहता हूं कि आजादी के करीब 77 साल बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से ‘स्वदेशी’ बन रही है, यह भारतीय लोकाचार पर काम करेगी।”
गृह मंत्री ने कहा, “75 साल बाद इन कानूनों पर विचार किया गया और आज से जब ये कानून लागू हो रहे हैं, तो औपनिवेशिक कानूनों को खत्म कर दिया गया है और भारतीय संसद में बनाए गए कानूनों को व्यवहार में लाया जा रहा है।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दंड की जगह अब न्याय है। शाह ने कहा,
“देरी की जगह त्वरित सुनवाई और त्वरित न्याय होगा, पहले सिर्फ पुलिस के अधिकारों की रक्षा होती थी, लेकिन अब पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के अधिकारों की भी रक्षा होगी।”
ये कानून (New Criminal Law) दिसंबर 2023 में संसद में पारित किए गए थे। नए कानूनों को मौजूदा आपराधिक कानूनों को खत्म करने की कवायद के तहत पेश किया गया था, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने इसके क्रियान्वयन का विरोध करते हुए कहा कि सरकार को इन्हें लागू करने से पहले व्यापक विचार-विमर्श करना चाहिए था।
शाह ने कहा कि सरकार ने हमारे संविधान की भावना के अनुरूप धाराओं और अध्यायों की प्राथमिकता तय की है। उन्होंने कहा कि पहली प्राथमिकता महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों (अध्यायों) को दी गई है।
“मेरा मानना है कि यह बहुत पहले किया जाना चाहिए था। 35 धाराओं और 13 प्रावधानों वाला एक पूरा अध्याय जोड़ा गया है। अब सामूहिक बलात्कार पर 20 साल की कैद या आजीवन कारावास, नाबालिग से बलात्कार पर मौत की सजा, पहचान छिपाकर या झूठे वादे करके यौन शोषण को अलग अपराध परिभाषित किया गया है।”
उन्होंने कहा कि पीड़िता का बयान उसके घर पर महिला अधिकारियों और उसके अपने परिवार की मौजूदगी में दर्ज करने का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा, ”इसके अलावा ऑनलाइन एफआईआर (Online FIR) की सुविधा भी दी गई है। हमारा मानना है कि इस तरह से बहुत सी महिलाओं को शर्मिंदगी से बचाया जा सकता है।” विपक्ष ने सरकार पर सांसदों को निलंबित करके जबरन इन कानूनों को पारित करने का आरोप लगाते हुए हमला किया और दावा किया कि कानूनों के बड़े हिस्से ‘कट, कॉपी और पेस्ट’ हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री ने विपक्ष के आरोप को निराधार बताया और कहा कि इसके बजाय विपक्ष ने संसद में इन कानूनों (New Criminal Law) पर बहस के दौरान हिस्सा नहीं लिया। शाह ने विपक्षी दलों से राजनीति से ऊपर उठने और इन कानूनों की किसी भी तरह की आलोचना से बचने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि वे नए आपराधिक कानूनों पर विपक्ष के किसी भी विचार का स्वागत करेंगे।