23.2 C
Hyderabad
Sunday, December 22, 2024

Top 5 This Week

Related Posts

Payal Kapadia की फिल्म ‘All We Imagine as Light’ गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में नॉमिनेट

 

Payal Kapadia की फिल्म ‘All We Imagine as Light’ गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में नॉमिनेट

फ़िल्म निर्देशक पायल कपाड़िया को उनकी पहली फिक्शन फीचर फ़िल्म के लिए 82वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में नॉमिनेट किया गया है.

‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ के लिए मोशन पिक्चर कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक कैटेगरी में उनको मनोनयन मिला है.

उनकी फ़िल्म को नॉन इंग्लिश लैंग्वेज कैटेगरी में बेस्ट मोशन पिक्चर के लिए भी नॉमिनेट किया गया है.

पायल कपाड़िया पहली भारतीय फिल्म निर्देशक हैं, जिन्हें बेस्ट डायरेक्टर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेशन मिला है.

उन्होंने इस उपलब्धि के लिए हॉलीवुड फ़ॉरेन प्रेस एसोसिएशन (एचएफ़पीए) का आभार व्यक्त किया है.

“पायल कपाड़िया को कान फ़िल्म समारोह में भी अवॉर्ड मिला था”

पायल कपाड़िया ने एक बयान जारी कर कहा, “मैं इस नॉमिनेशन से सम्मानित महसूस कर रही हूँ और इसके लिए एचएफ़पीए की आभारी हूँ.”

पायल ने कहा, “यह उन सभी लोगों का जश्न है जिन्होंने पूरी लगन से इस फ़िल्म के लिए काम किया.”

बेस्ट डायरेक्टर के लिए मोशन पिक्चर कैटेगरी में पायल कपाड़िया के साथ जैक्स औडियार्ड, सीन बेकर, एडवर्ड बर्गर, ब्रैडी कॉर्बेट और कॉरली फारजेट को भी नॉमिनेशन मिला है.

वहीं, बेस्ट मोशन पिक्चर के लिए नॉन इंग्लिश लैंग्वेज कैटेगरी में ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ (All We Imagine as Light) के साथ पाँच अन्य फिल्में भी नामांकित हुई हैं.

इनमें एमिलिया पेरेज़, द गर्ल विद द नीडल, आई एम स्टिल हियर, द सीड ऑफ़ द सेक्रेड फ़िग और विरमीलियो फ़िल्म शामिल हैं.

इससे पहले, पायल कपाड़िया अपनी फ़िल्म ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ के लिए कान फ़िल्म समारोह में भी अवॉर्ड जीत चुकी हैं.

बीते तीन दशकों में यह भारत की पहली फ़िल्म थी, जो इस समारोह की मुख्य प्रतिद्वंद्वी श्रेणी में प्रदर्शित हुई और उसने अवॉर्ड जीता था.

इस फ़िल्म ने ना सिर्फ़ तारीफ़ बटोरी, बल्कि इस प्रतिष्ठित फ़िल्म फ़ेस्टिवल का दूसरा सबसे बड़ा अवॉर्ड भी जीता.

कान समारोह के हॉल में जब पायल कपाड़िया की फ़िल्म ख़त्म हुई तो दर्शक खड़े होकर करीब आठ मिनट तक तालियां बजाते रहे.

मुंबई में केरल से आकर रह रही नर्सों के जीवन पर आधारित इस फ़िल्म को द जूरी प्राइज़ या ग्रां प्री अवॉर्ड मिला था.

इस पुरस्कार के साथ ही 38 साल की पायल कपाड़िया फ्रांसिस फ़ोर्ड कोपोला जैसे निर्देशकों की क़तार में शामिल हो गई हैं.

कान फ़िल्म समारोह में अवॉर्ड मिलने के बाद पायल ने कहा था, “ये मेरे लिए अविश्वसनीय है और मैं अपने आप को चुटकी काट रही हूं. मैं बहुत आभारी हूं और यहां पहुंचकर बहुत ख़ास महसूस कर रही हूं.”

उन्होंने उस समय कहा था, “इस प्रतियोगिता के लिए चयनित होना ही सपने जैसा था और ये अवॉर्ड मेरी कल्पना से परे है. इस समारोह में पहुंचकर बहुत अच्छा लग रहा है. कृपया अगली भारतीय फ़िल्म के लिए तीस साल का इंतज़ार ना करें. ”

‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ तीन अलग-अलग महिलाओं की दोस्ती की कहानी है और इस फ़िल्म में कई जगह ये महिला किरदार एक-दूसरे के सामने खड़ी नज़र आती हैं.

पायल कपाड़िया ने कहा, “ये फ़िल्म तीन बहुत अलग महिलाओं की दोस्ती की कहानी है और अक्सर महिलाएं एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी नज़र आती हैं. हमारे समाज को इसी तरह डिज़ाइन किया गया है, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन मेरे लिए, दोस्ती एक बहुत अहम रिश्ता है. दोस्ती एक-दूसरे के प्रति मज़बूत एकजुटता, समावेशिता और सहानुभूति पैदा कर सकती है.”

कान फ़िल्म समारोह के दौरान पायल कपाड़िया ने फ़िल्म की अभिनेत्रियों को मंच पर बुलाते हुए कहा था, “मुझे नहीं लगता कि इनके बिना ये फ़िल्म बन पाती, इन तीन महिलाओं ने मुझे कितना कुछ दिया है, एक परिवार की तरह इन्होंने फ़िल्म को अपना बनाया.”

फ़िल्मों में उनकी दिलचस्पी उन्हें पुणे के एफ़टीटीआई तक ले गई जहां उन्होंने फ़िल्म निर्माण की शिक्षा ली.

पायल कपाड़िया पुणे के फ़िल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया की छात्र रही हैं और 2022 में आई उनकी पहली डॉक्यूमेंट्री इस फ़िल्म संस्थान में हुए छात्रों के प्रदर्शन पर आधारित थी. 2015 में हुए इन प्रदर्शनों के दौरान पायल एफ़टीआईआई की छात्रा थीं और इस दौरान उन पर संस्थान ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी.

 

Popular Articles