Sansad: राज्य सभा के सभापति के खिलाफ इंडी अलायंस का अबिश्वास क्या पास होगा ?
विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडी अलायंस’ ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है. उनका कहना है कि, राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ पक्षपातपूर्ण तरीके से सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं.
विपक्ष को क्या लाभ होगा?
संविधान और क़ानून के जानकार कहते हैं कि इस तरह की पहल से विपक्ष को कुछ भी हासिल नहीं होगा, क्योंकि वो इसे पास नहीं करवा पाएंगे.
उपराष्ट्रपति के ख़िलाफ़ इस तरह के प्रस्ताव आना भी सही नहीं है. राज्यसभा के सभापति को हटाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना ज़रूरी है, लेकिन संसद का सत्र 20 तारीख़ को ही ख़त्म हो रहा है.
भारत में संविधान के अनुसार,राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ महाभियोग शुरू करने के लिए ‘संविधान का उल्लंघन करना’ आधार होता है, लेकिन उपराष्ट्रपति के लिए ऐसा कुछ नहीं है, उन्हें केवल सदन का भरोसा खो देने पर भी हटाया जा सकता है.
किसको बचाया जा रहा है ?
संसद के मौजूदा सत्र की शुरुआत से ही सदन में , कॉंग्रेस तथा भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त, अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरस के मध्य गठजोड़ और देश विरोधी रेपोर्टों का अमेरिकी संगठनों द्वारा संसद सत्र के ठीक पहले प्रकाशित होना, इन सभी मुद्दों को लेकर बीजेपी का कॉंग्रेस पर हमला करना तथा, भारतीय कारोबारी गौतम अदानी के मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है.
इस बीच बीजेपी सांसद और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है, “मैं एक बार फिर से स्पष्ट तौर पर कह रहा हूं कि एक बार जब संसद सुचारू तौर पर चल रही है तो कांग्रेस पार्टी ने किस वजह से ड्रामा शुरू किया? ऐसे मास्क और जैकेट पहनकर आने कि क्या ज़रूरत है जिसपर स्लोगन लिखे हुए हों…?
रिजिजू ने कहा है, “हम यहां देश की सेवा करने के लिए आए हैं, इस तरह का ड्रामा देखने के लिए नहीं आए हैं. जो नोटिस कांग्रेस पार्टी और उसके कुछ सहयोगियों ने दिया है, उसे निश्चित तौर पर नामंज़ूर किया जाना चाहिए और उसे नामंज़ूर किया जाएगा.”
संविधान के मुताबिक, उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए 14 दिन पहले उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया जाना ज़रूरी है.
उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया राज्यसभा में ही शुरू की जा सकती है, क्योंकि वो राज्यसभा के सभापति भी होते हैं. मूलतः इस मामले में वही नियम लागू होते हैं जो लोकसभा के अध्यक्ष को हटाने के लिए हैं.”
अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा के सभापति के ख़िलाफ़ ख़ास (निश्चित) आरोप होने चाहिए और नोटिस के 14 दिनों के बाद ही इस प्रस्ताव को राज्यसभा में लाया जा सकता है.
इस प्रस्ताव को राज्यसभा के मौजूदा सदस्यों के सामान्य बहुमत से पारित कराना ज़रूरी होता है. राज्यसभा से पास होने के बाद इस प्रस्ताव को लोकसभा के भी सामान्य बहुमत से पास कराना ज़रूरी होता है.