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Wednesday, July 23, 2025
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राज्यपाल : भारत के राष्ट्रपति द्वारा लद्दाख, हरियाणा और गोवा में नई नियुक्तियाँ

राज्यपाल: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ओर से बीजेपी शासित राज्य हरियाणा और गोवा के साथ साथ केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के भी नये राज्यपाल के नाम की घोषणा कर दी गई है। प्रोफेसर अशीम कुमार घोष को हरियाणा राज्य का राज्यपाल और पुष्पपति अशोक गजपति राजू को गोवा राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया है। वहीं, कविंद्र गुप्ता को लद्दाख का उपराज्यपाल बनाया गया है। ब्रिगेडियर डॉ. बीडी मिश्रा (सेवानिवृत्त) ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया है।

राज्यपाल की ये नियुक्तियां पदों का कार्यभार संभालने की तिथि से प्रभावी होंगी। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी विज्ञप्ति में नये राज्यपालों के नाम की घोषणा की गई है। आइए जानते हैं नये राज्यपाल नियुक्त हुए व्यक्तियों की प्रोफाइल क्या है?

गोवा: पुष्पपति अशोक गणपति राजू

पुष्पपति गणपति राजू साल 2018 से गृह मामलों की स्थायी समिति के सदस्य हैं। वह 27 मई 2014 से 10 मार्च 2018 तक नागरिक उड्डयन मंत्री रहे। पुष्पपति गणपति राजू 1999 से 2004 तक आंध्र प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री रहे। 1985 से 1989 तक वे आंध्र प्रदेश सरकार के आबकारी मंत्री रहे। 1978 से 2014 के बीच राजू सात बार आंध्र प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे.

हरियाणा: प्रोफेसर अशीम कुमार घोष

प्रोफेसर अशीम कुमार घोष वरिष्ठ राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद हैं। वो पश्चिम बंगाल भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कई वर्ष राजनीति विज्ञान पढ़ाने के बाद वो 1991 में भाजपा में शामिल हुए। अशीम घोष 1999 से 2002 तक पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष रहे। 2003 से 2005 तक उन्हें त्रिपुरा के लिए भाजपा का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था।

लद्दाख: कविंद्र गुप्ता

कविंद्र गुप्ता को लद्दाख का उपराज्यपाल बनाया गया है। ब्रिगेडियर डॉ. बीडी मिश्रा (सेवानिवृत्त) ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया है। कविंदर गुप्ता जम्मू-कश्मीर से आने वाले भाजपा नेता हैं। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की पृष्ठभूमि से आते हैं वो 2005-2010 के बीच लगातार तीन बार जम्मू के मेयर चुने गए। महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में कविंद्र गुप्ता उपमुख्यमंत्री रहे।

 

गुरु पूर्णिमा पर गुरु का मिथुन राशि में प्रवेश इन राशियों के लिए है शुभ

गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima): 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व है। यह दिन गुरुओं का सम्मान और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एक विशेष उत्सव के रूप में मनाया जाता है। आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था इसलिए इस आषाढ़ की पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

गुरु पूर्णिमा का क्या महत्व है?

गुरु पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरुजनों को समर्पित परम्परा है जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और प्रबुद्ध करने, बहुत कम अथवा बिना किसी मौद्रिक खर्चे के अपनी बुद्धिमता को साझा करने के लिए तैयार हों। इसको भारत, नेपाल और भूटान में हिन्दू, जैन और बोद्ध धर्म के अनुयायी उत्सव के रूप में मनाते हैं।

गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। 2025 में, पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई को रात 1:36 बजे शुरू होगी और 11 जुलाई को रात 2:06 बजे समाप्त होगी। इसलिए, गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी

बौद्ध धर्मावलंबी इस दिन को भगवान बुद्ध के सम्मान में मनाते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ज्ञान प्राप्ति के बाद इसी दिन उन्होंने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। जैन धर्मावलंबी भगवान महावीर और उनके प्रमुख शिष्य गौतम स्वामी के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए गुरु पूर्णिमा मनाते हैं।

इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन गुरु ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश कर रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरु का मिथुन राशि में गोचर कुछ विशेष राशियों के लिए अत्यंत शुभ फलदायी साबित होगा। इस लेख में आगे जानते हैं किन चार राशियों को इस योग से लाभ होगा?

गुरु ग्रह और उसका महत्व

ज्योतिष में बृहस्पति या गुरु ग्रह को ज्ञान, धन, विवाह, संतान और भाग्य का कारक माना जाता है। यह एक शुभ ग्रह है जिसका गोचर सभी राशियों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। जब गुरु किसी राशि में प्रवेश करता है, तो उस राशि और उससे जुड़े भावों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। गुरु पूर्णिमा पर गुरु का मिथुन राशि में प्रवेश कुछ राशियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होगा, क्योंकि मिथुन राशि गुरु के गुणों के साथ मिलकर एक प्रभावशाली योग का निर्माण करती है।

इन राशियों को मिलेगा विशेष लाभ:

गुरु पूर्णिमा पर गुरु के मिथुन राशि में प्रवेश से मुख्य रूप से चार राशियाँ लाभान्वित होंगी। आइए विस्तार से जानते हैं इनके बारे में,

मिथुन राशि (Gemini)

मिथुन राशि के जातकों के लिए यह समय विशेष रूप से फलदायी रहेगा। गुरु का आपकी ही राशि में गोचर आपके व्यक्तित्व, स्वास्थ्य और आत्म-विश्वास में वृद्धि करेगा। आपके निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होगा और नए अवसर प्राप्त होंगे। करियर और शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति देखने को मिलेगी। धन लाभ के भी योग बनेंगे। यह समय आपके लिए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और नई शुरुआत करने के लिए अनुकूल है।

कुंभ राशि (Aquarius)

कुंभ राशि के जातकों के लिए गुरु का यह गोचर शिक्षा, संतान और प्रेम संबंधों के लिए शुभ रहेगा। जो लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सोच रहे हैं, उनके लिए यह उत्तम समय है। संतान प्राप्ति या संतान से संबंधित शुभ समाचार मिल सकते हैं। प्रेम संबंधों में मधुरता आएगी और अविवाहितों के विवाह के योग बनेंगे। रचनात्मक कार्यों में सफलता मिलेगी और निवेश से लाभ प्राप्त हो सकता है।

धनु राशि (Sagittarius)

धनु राशि के स्वामी स्वयं गुरु ग्रह हैं, इसलिए यह गोचर उनके लिए भी महत्वपूर्ण रहेगा। गुरु का मिथुन राशि में प्रवेश आपके साझेदारी, विवाह और व्यवसायिक संबंधों को प्रभावित करेगा। व्यापार में नए समझौते हो सकते हैं और साझेदारों के साथ संबंध मजबूत होंगे। वैवाहिक जीवन में खुशहाली आएगी। सामाजिक और सार्वजनिक जीवन में मान-सम्मान बढ़ेगा। यह समय आपके लिए नए अनुबंधों और collaborations के लिए बहुत अच्छा है।

कन्या राशि (Virgo)

कन्या राशि के जातकों के लिए गुरु का यह गोचर करियर और कार्यक्षेत्र के लिए बहुत शुभ रहेगा। आपको नौकरी में पदोन्नति या वेतन वृद्धि मिल सकती है। व्यवसाय में विस्तार के योग बनेंगे और नए प्रोजेक्ट्स में सफलता मिलेगी। आपके सामाजिक दायरे में वृद्धि होगी और आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक केंद्रित महसूस करेंगे। यह समय आपके लिए पहचान और सफलता दिलाने वाला साबित होगा।

फोर्ब्स टॉप टेन बिलिनेयर्स में मुकेश अंबानी के साथ और कौन शामिल हैं?

अमेरिका की प्रतिष्ठित मैग्जीन फोर्ब्स ने दुनिया के अमीरों की जुलाई 2025 महीने के लिए सूची (Forbes Top 10 Richest Person Of India) जारी कर दी है, जिसमें मुकेश अंबानी देश के सबसे अमीर की लिस्ट में इस बार भी प्रथम स्थान पर बने हुए हैं.

मुकेश अंबानी 116 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति यानी करीब 9.5 लाख करोड़ के साथ वे एशिया में सबसे धनी हैं.

फोर्ब्स टॉप टेन के अमीरों की लिस्ट में कौन?

मुकेश अंबानी के बाद इस लिस्ट अमीरों की सूची में 67 बिलियन डॉलर के साथ दूसरे नंबर पर हैं देश के दिग्गज उद्योगपति गौतम अडानी. पिछले कुछ सालों में बाजार में कुछ उतार-चढ़ाव ने रैकिंग में जरूर कुछ बदलाव किया, लेकिन वे देश के दूसरे सबसे अमीर है. गौतम अडानी इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर बंदरगाह और ऊर्जा तक उनका कारोबार फैसला हुआ है और वे एक प्रमुख चेहरा हैं.

फोर्ब्स मैग्जीन की फोर्ब्स टॉप टेन बिलिनेयर्स लिस्ट में तीसरे नंबर पर हैं टेक्नोलॉजी सेक्टर की जानी-मानी हस्ती और एचसीएल के फाउंडर शिव नादर, फोर्ब्स मैग्जीन में इनकी कुल संपत्ति 38 बिलियन डॉलर आंकी गई है. इसके बाद चौथे नंबर पर है ओ.पी. जिंदल ग्रुप की एमेरिटा चेयरपर्सन सावित्री जिंदल और उनका परिवार, जिनकी संपत्ति 37.3 बिलियन डॉलर बताई गई है

पांचवें नंबर पर 26.4 बिलियन डॉलर के साथ हैं सन फार्मास्युटिकल के संस्थापक एवं प्रबन्ध निदेशक दिलीप संघवी. छठे नंबर पर सीरम इंस्टीट्यूट के सायरस पूनावाला हैं, जिनकी संपत्ति 25.1 बिलियन डॉलर है. सातवें नंबर पर 22.2 बिलियन डॉलर के साथ आदित्य बिड़ला ग्रुप के कुमार मंगलम बिड़ला हैं. आठवें नंबर पर 18.7 बिलियन डॉलर के साथ हैं आर्सेलर मित्तल के अध्यक्ष लक्ष्मी मित्तल.

फोर्ब्स टॉप टेन बिलिनेयर्स की लिस्ट में जुड़े कुशपाल सिंह

फोर्ब्स मैग्जीन की फोर्ब्स टॉप टेन बिलिनेयर्स लिस्ट में नौवें नंबर पर रिटेल चेन डीमार्ट के संस्थापक और अध्यक्ष राधाकिशन दमानी, जिनकी संपत्ति 18.3 बिलियन डॉलर आंकी गई है. तो वहीं दसवें नंबर पर हैं भारत की सबसे बडी रियल्टी कंपनी डी. एल. एफ. लिमिटेड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुशाल पाल सिंह या के.पी.सिंह. इस लिस्ट में बैरन कुशपाल सिंह शामिल होने वाले पहले अरबपति हैं. कुशपाल सिंह डीएलएफ के एमिरेट्स चेयरमैन हैं.

फोर्ब्स  के अनुसार दुनिया के टॉप बिलिनेयर्स

1.  एलोन मस्क (Elon Musk),  संपत्ति: $405.2 B  (कंपनी: Tesla, SpaceX)

2. लैरी एलिसन (Larry Ellison),  संपत्ति: $282.2 B (कंपनी: Oracle)

3. मार्क ज़ुकेरबर्ग (Mark Zuckerberg),  संपत्ति: $248.1 B  (कंपनी: Facebook)

4. जेफ बेजोस (Jeff Bezos), संपत्ति: $236.8 B   (कंपनी: Amazon)

5. लेरी पेज (Larry Page), संपत्ति: $148.4 B (कंपनी: Google)

 

 

 

SIPRI रिपोर्ट: चीन को दुनिया में जंग से मुनाफा; हमास और पाकिस्तान सहित 44 देशों को हथियार बेचे

SIPRI रिपोर्ट: स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) Stockholm International Peace Research Institute, (SIPRI) की मार्च में जारी ‘वैश्विक हथियार व्यापार रिपोर्ट’ के अनुसार विश्व के अग्रणी हथियार निर्यातक देश चीन ने हाल के संघर्षों में एशिया से लेकर अफ्रीका तक, 44 देशों में सरकार, विद्रोही और आतंकवादियों के समूहों को विमानों से लेकर मिसाइलों, ड्रोन और  अन्य घातक हथियार तथा सैन्य उपकरण भेजे हैं.

SIPRI क्या है?

सिपरी, स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान (SIPRI) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो स्वीडन के स्टॉकहोम में स्थित है। यह संस्थान संघर्ष, शस्त्र, शस्त्र नियंत्रण और निरस्त्रीकरण पर शोध के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करता है तथा  नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, मीडिया और जनता को डेटा, विश्लेषण और सिफारिशें प्रदान करता है। इस संस्थान का मुख्य उदेश्य सघर्ष रहित स्थाई शांति के विश्व की परिकल्पना करना तथा ऐसी पहल करना जिससे अपरिहार्य कारणों से होने वाले संघर्षों को रोका या हल किया जा सके और शांति शतपित हो सके। सिपरी की स्थापना 1966 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई थी।

क्या कहती है SIPRI रिपोर्ट ?

SIPRI रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में जारी जंगों से चीन सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाले देश के रूप में उभरकर सामने आया है. उसने जंग और आपसी संघर्षों से जूझ रहे इलाकों में तेजी से हथियारों की सप्लाई और एक्सपोर्ट को बढ़ावा दिया है. युद्ध के समय में चीनी हथियारों का इस्तेमाल पाकिस्तान, रूस, यमन के हूतियों और अफ्रीका में संघर्षों में अन्य सरकारी और गैर-सरकारी गुटों ने किया है. इनमें पाकिस्तान, सूडान, दक्षिण सूडान, इथियोपिया और अन्य जगहों पर हो रहे जातीय और नागरिक झड़पें शामिल हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की मार्च में जारी ताजा वैश्विक हथियार व्यापार रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने हाल ही में 44 देशों को विमानों से लेकर मिसाइलों और ड्रोन तक सैन्य उपकरण भेजे हैं.

चीन द्वारा विद्रोही गुटों को हथियारों की सप्लाइ

चीन के कर्ज में पूरी तरह से फंसे पाकिस्तान को, चीन के कुल मिलिट्री एक्सपोर्ट का 63 फीसदी एक्सपोर्ट हुआ, जिसमें लड़ाकू विमान और मिसाइल, मशीन गन, गोलाबारूद  से लेकर वायु रक्षा प्रणाली और ड्रोन तक शामिल हैं. इन हथियारों का इस्तेमाल पाकिस्तान में प्रशिक्षित दुनिया भर में फैले आतंकी समूहों के साथ साथ, पाकिस्तान की सेना ने मई में भारत के साथ संघर्ष में भी किया गया था. यूक्रेन से लेकर अफ्रीका और मध्यपूर्व या पश्चिम एशिया में होने वाले सभी युद्ध और संघर्षों को चीनी हथियार और मदद से बढ़ावा मिला है। इसराइल और अमेरिका के खिलाफ संघर्ष कर रहे, ईरान, हमास और यमन के हूतियों को चीन के विनाशकारी हथियारों की पूरी मदद रही और चीन से निरंतर सप्लाइ होती रही. वहीं रूस और यूक्रेन युद्ध में चीन की रूस को सैन्य मदद दुनियाभर के देशों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।

यूक्रेन की खिलाफ युद्ध में रूस को हथियार

SIPRI रिपोर्ट के विश्लेषण के अनुसार रूस को युद्ध के दौरान चीन ने न केवल हथियारों की सप्लाइ की वल्कि, युद्ध के समय इकोनॉमी गिरने से बचाने में भी मदद की है। चीन ने रूस को मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और रसायन जैसी सैन्य और असैन्य, दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं की सप्लाई भी करी है. जिससे वह युद्ध के लिए हथियार और सैन्य प्रणाली सुदृढ़ रख सके. चीन ने रूस को सैन्य ड्रोन जैसे हथियार भी दिए हैं. एक रिसर्च के अनुसार, रूस की चीन पर निर्भरता इतनी अधिक है कि वह उच्च प्राथमिकता वाले लगभग 90 फीसदी सामान चीन से आयात करता है।

चीन का अमेरिकी रणनीति पर कब्जा

SIPRI रिपोर्ट के विश्लेषण के अनुसार पिछले वर्ष इसराइल में हमास के आतंकवादियों ने रात के समय हमला करके सैकड़ों निर्दोष नागरिकों जिसमें महिलायें और बच्चे अधिक थे की हत्या कर दी थी और बंधक बना कर अपने साथ गाज़ा ले गए थे, इसके बाद शुरू हुए संघर्ष में हमास ने इजरायल के खिलाफ चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया. यमन के विद्रोही गुट हूतियों ने चीनी हथियार खरीदे और अमेरिका तथा इसराइल पर आक्रमण किया. पश्चिम एशिया में ईरानी सेनाओं के अलावा, चीनी हथियारों का इस्तेमाल नागोर्नो-करबाख क्षेत्र के आसपास आर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष में भी किया गया है. चीन के हथियारों और सैन्य प्रणालियों का उपयोग पूरे अफ्रीका भर में संघर्षों में किया जा रहा है. जानकारों के अनुसार अफ्रीका में, पश्चिमी अफ्रीका जैसे कुछ हिस्सों में लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले 25 फीसदी से अधिक सैन्य साजो-समान चीन द्वारा निर्मित है। अनुमान के मुताबिक, लगभग 70 प्रतिशत अफ्रीकी देश या विद्रोही आतंकवादी समूह चीन के सैन्य वाहनों का इस्तेमाल करते हैं. गैरतलब है की दशकों पहले अमेरिका, अशान्ति,विद्रोह और संघर्ष के यही रणनीति अपना कर हथियार बेचता था।

चीन दुनिया भर में इन संघर्ष का समर्थक और आतंकवाद का मूक पोषक बनकर अशान्ति फ़ैला रहा है और हूतियों, हमास, ईरान,अफ्रीकी विद्रोही तथा रूस से लेकर पाकिस्तान तक युद्ध में हथियारों को बेचकर दुनिया का सबसे बड़ा मुनाफाखोर (china become big profiteer) बनकर उभरा है. SIPRI रिपोर्ट के विश्लेषण के अनुसार चीन, यूरोप से लेकर एशिया और अफ्रीका तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हर नई जंग के साथ अपने हथियारों के निर्यात के लिए नए बाजार ढूंढ कर देशों की संपत्ति और शांति का दोहन कर रहा है।

 

 

पुनौराधाम में बनेगा भव्य मंदिर; मिथिलांचल में पर्यटन को बढ़वा

पुनौराधाम (बिहार):  भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म में माता सीता के नाम स्मरण किए बिना कोई भी कार्य या दिन की शुरुआत नही होती है जैसे की आगंतुक या किसी से मिलने के समय आपका सम्बोधन “सीताराम”; “जय श्री सीताराम” प्रभु का स्मरण करते समय या निरापद समय में भी व्यक्ति “सीताराम” “सीताराम” का जाप करता रहता है। अनेक महान संतों ने सारे ब्रह्मांड का सार “सीताराम” नाम के इन दो शब्दों में निहित बताया है। प्रसिद्ध संत श्री नीब करौली बाबा भी यही उपदेश अपने भक्तों को देते थे की अपने ग्रहस्त जीवन में “सीताराम” “सीताराम” नाम का जाप करते रहो।

पुनौराधाम कहाँ है?

माता सीता की जन्मस्थली पुनौराधाम बिहार के मिथिला (मिथिलांचल) में सीतामढी जिले में स्थित है। यह स्थल सदियों से पूज्यनिए रहा है. यहाँ पर हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों से लेकर प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को जानने तथा समझने के लिए विश्व के हर भाग से लोग आते रहे हैं। माता जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम, विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशिष्ट स्थल रहा है, जो माता सीता की कथा को निकट से अनुभव करना चाहते रहे हैं। आदी वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था। जनकपुर का प्राचीन नाम मिथिला तथा विदेहनगरी था।

पुनौराधाम में माता सीता का मंदिर

मर्यादा पुरुषोतम श्री राम जी की जन्मस्थली अयोध्या में उनके जन्मस्थान पर भारतीय संस्कृति की हितैषी राजनैतिक पार्टी बीजेपी के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के काल में मंदिर निर्माण का कार्य प्रशस्त हुआ और जहां आज एक भव्य मंदिर स्थापित है। विदित हो कि देश पर आक्रमण करके मुगलों ने श्री जन्मभूमि पर स्थित प्राचीन मंदिर को तोड़ कर एक अन्य ढांचे का निर्माण कर दिया था, लेकिन पूरे देश की धर्म संगत और न्याय प्रिये हिन्दू जनता के आक्रोश वश वह उस स्थान पर कोई भी अन्य कार्य नही कर सके और उस जन्मस्थली पर सैकड़ों वर्षों तक प्रभु श्रीराम की पूजा और आरती होती रही।  श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण होने के बाद से राष्ट्र की जनता माता सीता की जन्मस्थली पर भी विशाल मंदिर निर्माण की आशा कर रही है.

देश के जन-मानस की भावनाओं और धर्म सम्मत होकर माता सीता के जन्मस्थान पर भी श्री राम मंदिर की शैली में एक मंदिर निर्माण की दिशा में कदम उठाते हुए बीजेपी के साथ एनडीए गठबंधन में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने एक्स पर लिखा, “मुझे बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि जगत-जननी मां जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम, सीतामढ़ी को समग्र रूप से विकसित करने हेतु भव्य मंदिर सहित अन्य संरचनाओं का डिजाइन अब तैयार हो गया है, जिसे आपके साथ साझा किया जा रहा है।” उन्होंने आगे लिखा, “इसके (मंदिर) लिए एक ट्रस्ट का भी गठन कर दिया गया है, ताकि निर्माण कार्य में तेजी आ सके। हम लोग पुनौराधाम, सीतामढ़ी में भव्य मंदिर निर्माण शीघ्र पूरा कराने हेतु कृतसंकल्पित हैं। पुनौराधाम में मां जानकी के भव्य मंदिर का निर्माण हम सभी बिहारवासियों के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है।”

पुनौराधाम माता सीता की जन्मस्थली

यह समाचार बिहार के लोगों के साथ साथ समस्त हिंदुओं के लिए खुश होने वाला समाचार है। जब से अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बना है, तब से लोग यह आस लगाए बैठे थे कि सीतामढ़ी में भी दिव्य मंदिर बने। अब जन मानस की यह अभिलाषा पूरी होती दिख रही है। इस कार्य के लिए पुनौराधाम के आसपास लगभग 50 एकड़ जमीन चाहिए। इस कार्य को तेजी से किया जा रहा है। राज्य सरकार ने इसके लिए आवश्यक राशि भी आवंटित कर दी है।

पुनौराधाम एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है, जिसे माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राजा जनक को यहीं भूमि जोतते समय सीता जी मिली थीं। हालांकि सीता के जन्म के संबंध में देश-विदेश में अनेक कथाएं प्रचलित हैं, किंतु इस तथ्य से सभी सहमत हैं कि वे अजन्मा थीं। वे किसी सामान्य नारी के गर्भ से नहीं, पृथ्वी से उत्पन्न हुई थीं।

धरती पुत्री माता सीता और राजा जनक की पुत्री कैसे बनी?

भगवती सीता के जन्म के संबंध में यह कथा प्रचलित है कि मिथिला में अनावृष्टि के कारण भयंकर अकाल पड़ा। प्रजा दाने-दाने के लिए बिलखने लगी। प्रजावत्सल राजा जनक प्रजा के इस कष्ट को दूर करने के लिए व्यग्र हो उठे। उनकी विह्वलता तथा व्यग्रता को देखकर ऋ षि-मुनियों ने परामर्श दिया कि यदि मिथिलेश स्वयं हल चलाएं तो वर्षा होगी और अकाल दूर हो जाएगा।

महाविष्णुपुराण के अनुसार मिथिलेश जनक ने अपनी राजधानी जनकपुर की सीमा से 3 योजन दूर एक निश्चित स्थान पर यज्ञादि करके हल चलाया। उसी दौरान सीता प्रकट हुईं। बच्ची के प्रकट होते ही संपूर्ण मिथिला क्षेत्र धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया। हल के सीत (फाल) से उत्पन्न होने के कारण इस बच्ची का नाम सीता पड़ा। इसी कारण माता की इस हृदय स्थली का नाम ‘सीतामही’ पड़ा, जिसका अपभ्रंश शब्द सीतामढ़ी है। सीतामढ़ी शहर से पांच किलोमीटर पश्चिम में पुनौरा गांव में जानकी मंदिर है। यही स्थल पुनौराधाम के नाम से दुनिया भर में प्रसिद्ध है.

पुनौराधाम से देश और बिहार के लोगों को प्राचीन काल से ही लगाव रहा है किन्तु पूर्ववर्ती राज्य सरकारों की अनदेखी के चलते अभी तक वहाँ पर माता सीता के दिव्य मंदिर का निर्माण नही हो सका, लेकिन अब केंद्र की बीजेपी और राज्य की बीजेपी गठबंधन की सरकार इस मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।

 

ट्रैकोमा (Trachoma) मुक्त हुआ भारत; PM मोदी ने कहा यह गर्व का क्षण

ट्रैकोमा (Trachoma) एक आँख की बीमारी है और दुनिया भर में अंधेपन का प्रमुख संक्रामक कारण भी है। यह क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस (Bacterium Chlamydia trachomatis) नामक एक अनिवार्य इंट्रासेल्युलर जीवाणु के कारण होता है। अब भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ट्रैकोमा मुक्त देश घोषित किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा?

भारत के स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ स्वच्छ भारत अभियान और जल जीवन मिशन की मेहनत रंग लाई है और अब देश ट्रैकोमा (Trachoma) मुक्त हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को ट्रैकोमा मुक्त देश घोषित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस बात की पुष्टि की थी। उन्होंने इस उपलब्धि को देश के लिए गर्व का पल बताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह ट्रैकोमा (Trachoma) बैक्टीरिया के इन्फेक्शन के कारण फैलने वाली बीमारी एक वक्त देश में आम थी। ये इतनी खतरनाक है कि अगर वक्त आंखों का इलाज न किया जाए तो आंखों की रौशनी जाने का खतरा भी बना रहता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे जड़ से समाप्त करने का संकल्प लेकर हम आगे बढ़े और आज हमने अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है। उन्होंने इसका श्रेय उन लोगों को दिया है, जिन डॉक्टरों ने लगातार इससे लड़ाई लड़ी है।

क्या है ट्रैकोमा (Trachoma)?

ट्रैकोमा (Trachoma) एक संक्रामक नेत्र रोग है, जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बीमारी मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में फैलती है जहां स्वच्छ पानी और सैनिटेशन की कमी होती है। बार-बार होने वाले संक्रमण से आंखों की पलकों के अंदरूनी हिस्से में जख्म हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पलकें अंदर की ओर मुड़ सकती हैं। इससे कॉर्निया को नुकसान पहुंचता है और अगर इलाज न किया जाए तो यह अंधापन तक पैदा कर सकता है। WHO के अनुसार, यह विश्व स्तर पर रोकथाम योग्य अंधेपन का प्रमुख कारण रहा है।

ट्रैकोमा (Trachoma) रोग कैसे होता है?

ट्रैकोमा (Trachoma) व्यक्तिगत संपर्क से फैलता है, जिसमें आंखों और नाक से निकलने वाला संक्रमित स्राव दूसरे लोगों के हाथों या संक्रमित कपड़ों या बिस्तर को छूने से फैलता है। मक्खियां भी संक्रामक स्राव को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैला सकती हैं। सक्रिय संक्रमण के संपर्क में आने के पांच से 12 दिन बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

भारतीय उपमहाद्वीप में नेपाल और म्यांमार के बाद भारत ट्रैकोमा (Trachoma) मुक्त होने वाला तीसरा देश बन गया है। WHO ने 8 अक्टूबर 2024 को भारत को ट्रैकोमा (Trachoma) से मुक्त होने का प्रमाणपत्र प्रदान किया था, जिसकी घोषणा 20 मई 2025 को जिनेवा में आयोजित 78वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में की गई।

1963 में शुरू हुए राष्ट्रीय ट्रैकोमा (Trachoma) नियंत्रण कार्यक्रम को बाद में राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम (NPCBVI) में शामिल किया गया। 1971 में, ट्रैकोमा के कारण भारत में 5% अंधापन होता था, जो 2018 तक घटकर 0.008% हो गया। 2017 में भारत को सक्रिय ट्रैकोमा से मुक्त घोषित किया गया था, और 2021 से 2024 तक 200 प्रभावित जिलों में राष्ट्रीय ट्रैकोमैटस ट्राइकियासिस सर्वेक्षण किया गया।

स्वच्छ भारत और जल जीवन मिशन की भूमिका

पीएम मोदी ने इस उपलब्धि का श्रेय देश के स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ स्वच्छ भारत अभियान और जल जीवन मिशन को दिया। इन पहलों ने स्वच्छता और स्वच्छ पानी की उपलब्धता को बढ़ावा देकर ट्रैकोमा (Trachoma) के मूल कारणों को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वच्छ भारत अभियान ने सैनिटेशन सुविधाओं को बेहतर किया, जबकि जल जीवन मिशन ने हर घर तक स्वच्छ पानी पहुंचाने में मदद की, जिससे इस तरह की बीमारियों का जोखिम काफी हद तक कम हुआ।

 

थाईलैंड में प्रधानमंत्री शिनावात्रा के खिलाफ कॉल लीक के बाद भीषण प्रदर्शन

थाईलैंड न्यूज: थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा के ख़िलाफ़ राजधानी बैंकॉक की सड़कों पर हज़ारों की तादाद में लोग प्रदर्शन करते हुए उनके इस्तीफे़ की मांग की है. कुछ समय पहले कंबोडिया सीमा पर हुई एक घटना को लेकर की गई एक कॉल में, थाईलैंड की प्रधानमंत्री शिनावात्रा ने कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन को ‘चाचा’ कहकर संबोधित किया और कहा कि इस विवाद को संभाल रहे थाईलैंड की  सेना के कमांडर “सिर्फ़ अच्छा दिखना चाहते थे और उन्होंने ऐसे बयान दिए जो किसी काम के नहीं थे.”

थाईलैंड की प्रधानमंत्री शिनावात्रा और कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन के साथ हुई यह फ़ोन कॉल लीक हो गई थी, जिसके बाद से प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे हैं. इस कॉल से थाईलैंड में जनता का गुस्सा भी भड़क गया है और भीषण प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं। इस बीच सत्तारूढ़ गठबंधन के एक प्रमुख सहयोगी ने इस्तीफ़ा दे दिया है.

हालांकि थाईलैंड की प्रधानमंत्री शिनावात्रा ने इस कॉल के लिए माफ़ी मांग ली है, लेकिन साथ ही इस कॉल का बचाव करते हुए इसे ‘बातचीत की तकनीक’ भी बताया. साथ ही थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा ने पत्रकारों से कहा कि विरोध प्रदर्शन करना लोगों का अधिकार है, बशर्ते यह शांतिपूर्ण हो.

(इनपुट एशिया मीडिया)

 

देवभूमि उत्तराखंड में मदरसों के पाठ्यक्रम और मानक सुविधायों की जांच पड़ताल होगी

देवभूमि उत्तराखंड राज्य की बीजेपी की धामी सरकार, उत्तराखंड राज्य के मदरसों में पढ़ाए जाने वाले राष्ट्रीय पाठ्यक्रम के विषय में जांच पड़ताल कराने जा रही है। इन मदरसों में बच्चों के लिए तय मानक के हिसाब से सुविधाएं मिल रही है अथवा नहीं ? इस बारे में भी रिपोर्ट मांगी जा रही है।

उत्तराखंड सरकार में अल्पसंख्यक मंत्रालय में विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने मदरसा बोर्ड और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी के जरिए ये जानकारी मांगी है कि राज्य में चल रहे पंजीकृत करीब 450 मदरसों में NCERT का पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है कि नहीं? विशेष सचिव ने मदरसों में बच्चों के लिए तय मानक के हिसाब से सुविधाएं मिल रही है अथवा नहीं इस बारे में भी जानकारी मांगी है।

उत्तराखंड सरकार में विशेष सचिव डा. धकाते ने मदरसों में बच्चों की संख्या और फंडिंग के विषय में भी जानकारी देने को कहा है। उल्लेखनीय है कि राज्य में पिछले दिनों धामी सरकार के निर्देश पर विभिन्न जिलों में 218 अवैध मदरसों को सील किया गया है। इन मदरसों में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम यानी NCRET नहीं पढ़ाया जा रहा था और न ही इनका मदरसा बोर्ड अथवा किसी शैक्षिक संस्थान में पंजीकरण करवाया गया था।

धामी सरकार तहतानिया (प्राइमरी), फौकानिया (जूनियर हाईस्कूल) के पंजीकरण के अलावा आलिया (हाईस्कूल) की पढ़ाई कराने वाले मदरसों के साथ साथ उत्तराखंड मे मक़दब मदरसों के बारे में भी रिपोर्ट मांगी है।

मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष का क्या कहना है?

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष शम्मूम कासमी ने बताया कि राज्य में 450 मदरसे बोर्ड में पंजीकृत है यहां राष्ट्रीय पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है और यदि मदरसा नहीं पढ़ाता है तो हम उसपर एक्शन लेते है। श्री कासमी ने बताया कि बोर्ड का संस्कृत अकादमी से के साथ एमओयू भी होने जा रहा है जिसके बाद कुछ मदरसों में संस्कृत विषय को भी पढ़ाया जायेगा

डॉ पराग मधुकर धकाते ने कहा कि, उत्तराखंड सरकार और सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार अवैध मदरसों के खिलाफ कारवाई जारी रहेगी, जो पंजीकृत मदरसे है वहां राष्ट्रीय पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है कि नहीं इसकी रिपोर्ट मंगाई जा रही है।

 

रथयात्रा: भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचे

ओडिशा (Puri Rath Yatra): हिन्दू धर्म में स्थापित चार धाम में से एक पुरी में रथयात्रा शुरू होने के एक दिन बाद शनिवार को भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ (Lord Balabhadra, Goddess Subhadra and Lord Jagannath) के रथ अपने गंतव्य गुंडिचा मंदिर पहुंच गए। गुंडिचा मंदिर को देवताओं की ‘मौसी’ का घर माना जाता है, जो हर साल जगन्नाथ मंदिर से निकलकर अपनी ‘मौसी’ के घर जाते हैं। गुंडिचा मंदिर 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर से 2.6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

बहुदा यात्रा क्या है?

अपनी मौसी के घर से वापसी की रथयात्रा को ‘बहुदा यात्रा’ कहा जाता है. भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ (Lord Balabhadra, Goddess Subhadra and Lord Jagannath) 9 दिन के बाद मौसी के घर से मुख्य मंदिर चले जाएंगे। वापसी की इस रथयात्रा को ‘बहुदा यात्रा’ कहा जाता है, जो इस साल 5 जुलाई को होगी। इससे पहले दिन में ‘जय जगन्नाथ’ और ‘हरि बोल’ के जयकारों के बीच श्रद्धालुओं ने आज सुबह लगभग 10 बजे तीनों रथों को फिर से खींचना शुरू किया। पुरी में 27 जून की रात रथयात्रा रोक दी गई थी।

मंत्री और अधिकारियों ने भी खींचे रथ

रथयात्रा में रथों को शुक्रवार शाम तक गुंडिचा मंदिर पहुंचना था, लेकिन भगवान बलभद्र का तालध्वज रथ के एक मोड़ पर फंस जाने के कारण श्रद्धालुओं को ग्रैंड रोड पर रुकना पड़ा जिससे अन्य 2 रथ भी आगे नहीं बढ़ सके। परंपरा के अनुसार सबसे आगे ‘तालध्वज’ रहता है, उसके बाद देवी सुभद्रा का रथ ‘दर्पदलन’ और भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’ रहता है। ओडिशा सरकार में विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन, मुख्य सचिव मनोज आहूजा, पुलिस महानिदेशक वाई. बी. खुरानिया और अन्य वरिष्ठ अधिकारी को भगवान जगन्नाथ के ‘नंदीघोष’ रथ को खींचते दिखे। रथों के अपने गंतव्य पहुंचने पर इन्हें गुंडिचा मंदिर के बाहर रखा गया। औपचारिक शोभायात्रा के बाद देवताओं को रविवार को मंदिर के अंदर ले जाया जाएगा।

रथयात्रा के दौरान बीमार पड़े श्रद्धालु

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने कहा कि हम रथयात्रा के संचालन के लिए श्रद्धालुओं समेत सभी हितधारकों को धन्यवाद देते हैं। इस बीच डीजीपी वाई. बी. खुरानिया ने कहा कि रथों की सुरक्षा और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सभी प्रबंध किए गए हैं। शनिवार को रथयात्रा के दौरान बीमार पड़े 600 से अधिक श्रद्धालुओं का पुरी के विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया गया। कई लोग धक्का-मुक्की के कारण घायल हो गए जबकि 200 से अधिक लोग गर्मी और उमसभरे मौसम के कारण बेहोश हो गए।

रथयात्रा में लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया

अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को वार्षिक रथयात्रा में लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया था और लगभग 5 लाख श्रद्धालु शनिवार को पुरी में मौजूद थे। उन्होंने बताया कि शनिवार को हल्की बारिश हुई। ओडिशा पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के लगभग 10,000 जवानों की तैनाती के साथ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच वार्षिक रथयात्रा आयोजित की जा रही है। पुलिस ने रथ यात्रा के सुचारू संचालन के लिए सभी प्रबंध किए हैं। पुलिस महानिदेशक खुरानिया ने बताया कि भीड़ पर नजर रखने के लिए 275 से अधिक एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से लैस सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

 

ईरान में इसराइल द्वारा मारे गए सैन्य अधिकारियों का सामूहिक अंतिम संस्कार

ईरान न्यूज: यहूदी देश इजराइल के साथ सीधे संघर्ष में गोलीबारी और फिर युद्ध विराम होने के दो सप्ताह बाद ईरान, इस युद्ध के दौरान इसराइल की बमबारी में मारे गए अपने शीर्ष सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों के लिए तेहरान में “ऐतिहासिक” अंतिम संस्कार करने जा रहा है। सामूहिक अंतिम संस्कार से पहले, ईरानी सरकारी मीडिया ने हवाई हमलों में मारे गए वरिष्ठ सैन्य कमांडरों और अधिकारियों के शवों को ले जाने वाले ताबूतों की तस्वीरें जारी की हैं।

ईरान के मारे गए सैन्य अधिकारी कितने महत्वपूर्ण थे?

ईरान के सरकारी मीडिया ने इन तस्वीरों में ईरान के शीर्ष जनरल मोहम्मद बाघेरी, ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) के मुख्य कमांडर होसैन सलामी, एयरोस्पेस फोर्स के कमांडर अमीर-अली हाजीजादेह, खतम अल-अनबिया के कमांडर घोलम-अली राशिद और उनके उत्तराधिकारी अली शादमानी, आईआरजीसी कुद्स फोर्स के फिलिस्तीन कोर के प्रमुख सईद इजादी और सईद बोरजी के ताबूत दिखाए गए हैं, जिन्हें ईरान की परमाणु विस्फोट तकनीक के पीछे का व्यक्ति माना जाता था।

ईरान की राजधानी तेहरान में शनिवार को करीब 60 उच्य अधिकारी लोगों का सामूहिक अंतिम संस्कार किया जाएगा।  समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि स्मरणोत्सव (commemorations) स्थानीय समयानुसार सुबह 0800 बजे मध्य तेहरान में एंगहेलाब (क्रांति) चौक पर शुरू होगा। ‘स्मरणोत्सव’ के बाद लगभग 11 किलोमीटर दूर आज़ादी चौक पर अंतिम संस्कार जुलूस निकाला जाएगा।

तेहरान के इस्लामिक डेवलपमेंट कोऑर्डिनेशन काउंसिल के प्रमुख मोहसेन महमूदी ने एक टेलीविज़न साक्षात्कार में कहा, “वहां एक संक्षिप्त समारोह आयोजित किया जाएगा, फिर शहीदों के जुलूस आज़ादी चौक की ओर बढ़ेंगे।”

उन्होंने कहा कि शनिवार, 28 जून, इस्लामिक ईरान के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा।

 funeral of Iranian commanders and scientists killed in Israeli strikes, in Tehran, June 28, 2025.

कहाँ किया जाएगा सैन्य अधिकारियों को दफन?

ईरान के आईआरजीसी में एक मेजर जनरल और सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के बाद सशस्त्र बलों के दूसरे-इन-कमांड जनरल मोहम्मद बाघेरी ऑपरेशन लॉयन के तहत इज़राइली हमलों में मारे गए लोगों में से एक थे। समाचार एजेंसी ने कहा कि उन्हें उनकी पत्नी और बेटी के साथ दफनाया जाएगा। परमाणु वैज्ञानिक मोहम्मद मेहदी तेहरानची, जो हमलों में मारे गए थे, को उनकी पत्नी के साथ दफनाया जाएगा।

अन्य उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियों को उनके गृह नगरों, जैसे कि क़ोम, हमेदान और मशहद में राज्य द्वारा आयोजित समारोहों में दफनाया जाएगा।

सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई शामिल होने?

तेहरान के इस्लामिक डेवलपमेंट कोऑर्डिनेशन काउंसिल के प्रमुख मोहसेन महमूदी ने एक टेलीविज़न साक्षात्कार में कहा, स्मरणोत्सव के बाद एक समारोह आयोजित किया जाएगा, फिर शहीदों के जुलूस आज़ादी चौक की ओर बढ़ेंगे।

ईरान के मीडिया की तरफ से जारी खबरों में कहा गया है कि, 12 दिनों के इस युद्ध के दौरान इज़राइल ने 20 से अधिक उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाया और मार डाला, जिनमें से कुछ को उनके घरों में ही मार दिया गया।

उम्मीद है कि राष्ट्रपति मसूद पेशेशकियन अंतिम संस्कार जुलूस में शामिल होंगे, लेकिन देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई नहीं होंगे।

ईरान में 600 से ज़्यादा लोग मारे गए

ईरान और इज़रायल के बीच संघर्ष 13 जून को शुरू हुआ जब इज़रायल ने हमले शुरू किए, जिसके बारे में उसने कहा कि इसका उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकना है।

हमलों में IRGC के 30 से ज़्यादा शीर्ष कमांडर मारे गए, जिनमें इसके कमांडर-इन-चीफ़ होसैन सलामी और इसके एयरोस्पेस बलों के प्रमुख अमीराली हाजीज़ादेह शामिल हैं।

ईरानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इज़रायली हमलों में 627 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और लगभग 4,900 लोग घायल हुए हैं। इस बीच, इज़रायल में ईरानी हमलों में 28 लोग मारे गए हैं।

ताज़ा खबरों के अनुसार ईरान और इसराइल के बीच संघर्ष विराम लागू है, लेकिन दोनों की तरफ से भड़काने वाले बयान लगातार आ रहे हैं, जो की सम्पूर्ण मध्य-पूर्व की शांति और सुरक्षा के लिए एक ज्वालामुखी के समान खतरा है।