जब पहली बार नैनीताल गया तो शाम हो रही थी, सूर्यदेवता ने मध्दिम रौशनी का लट्टू, जो रात होने से पहले जलाया जाता है, जलाया हुआ था की अचानक हल्द्वानी से आगे आसमान में अंधेरा दिखने लगा, प्रतीत हुआ कि, घनघोर बारिश के काले बादल है, लेकिन ध्यान से देखने पर ऊँचे-ऊँचे पहाड़ दिखे, जो लौटती सूरज की रौशनी (सूर्य-देवता सुबह में धीरे-धीरे दी हुई रौशनी शाम को धीरे-धीरे वापस ले लेते हैं) में काले पड़ रहे थे, सूर्यदेवता के मध्दिम रौशनी का लट्टू पूर्णतः बंद होने के बाद झलकता है स्याह रात का अंधेरा, और यही अँधेरा जीव-निर्जीव या पेड़ और पहाड़ों निस्तेज कर देता है.
और यही पहाड़ों को काले बादलों जैसा स्याह बना रहा था.
आइये अब नैनीताल की बात करें तो, नैनीताल से ही देवभूमि हिमालय की शुरुआत हो जाती है.
कुमाऊँ क्षेत्र में, नैनीताल समुद्र ताल से २०००मीटर की ऊंचाई पर स्थित अंग्रेज़ों द्वारा विकसित हिलस्टेशन है यह लगभग १०० वर्षों से भी अधिक समय से नैनीताल एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जहां देश और विदेश के लाखों पर्यटक, तीर्थ यात्री आते है.
नैनीताल और उसके पास के स्थलों की बात करें तो “नीम करौली बाबा” या ” महाराज जी” का विश्व प्रसिद्ध कैंचीधाम आश्रम, मुक्तेश्वर- जहाँ से सम्पूर्ण हिमालय शिखर और तीर्थ स्थानों के दर्शन, उत्तराखंड के घर-घर में पुज्यनीय और जन-मानस के रक्षक गोलू देवता का मंदिर, नैनीताल, सरिता ताल, भीमताल, नैनीताल चिड़ियाघर, देश-विदेश में उपस्थित भक्तों के गुरुओं के अनेक आश्रम, रोपवे की सहायता के पर्वत के शिखर पर स्थित नैनादेवी मंदिर के दर्शन ,
कई स्थानों को देखने के आलावा भी बहुत कुछ खास है नैनीताल की सुबह और शाम में. नैनीझील के किनारे बैठना, टहलना, सड़क किनारे खाने की दुकानों में छूट-पुट खाना, पहाड़ी दुकानदारों द्वारा बेचे जाने वाली अद्भुत प्रकार की जड़ी-बुटिओं का गुण-गान सुन कर आवश्यक होने पर खरीदना. पहाड़ी दाल, या फल खरीदना।
शब्दों में कहो तो, ठंड हो या गर्मी हो या हो बारिश, सुबह हो या शाम, बहुत कुछ है नैनीताल की हवा में, फ़िज़ा में, वयार में और पहाड़ी व्यंजनों में,
कुछ पहाड़ी व्यंजन जो मुझे हमेशा आकर्षित करते रहे है.
बाल मिठाई
बाल मिठाई भारत के उत्तराखंड राज्य की एक लोकप्रिय मिठाई है। यह भुने हुए खोये पर चीनी की सफेद गेंदों के लेप द्वारा बनायी जाती है, और दिखने में भूरे चॉकलेट जैसी होती है। यह उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल में समान रूप से सभी क्षेत्रों में प्रसिद्ध है।
चैंसू (चौसा)
चैंसू उड़द की दाल से बनाया जाता है। इस डिश को कढ़ाई में धीमी आंच पर पकाकर बनाया जाता है। हाई प्रोटीन की वजह से चैंसू को पचने में थोड़ा सा समय लग सकता है।
रास
रास अलग-अलग दालों से बनाकर तैयार की जाती है। इस डिश को लोहे की कढ़ाही में बनाकर तैयार किया जाता है। वहीं पोषण बनाए रखने के लिए इसको धीमी आंच पर पकाया जाता है। इस डिश को भांग की चटनी और गरम चावल के साथ परोसा जाता है।
आलू के गुटके
यह एक मसालेदार स्वादिष्ट डिश है। इसको आलू, धनिया और लाल मिर्च के साथ बनाकर तैयार किया जाता है। इस डिश को पूड़ी, भांग की चटनी और कुमाऊं के रायते के साथ सर्व किया जाता है।
भट्ट की चुरकानी
यह डिश कुमाऊं में काफी ज्यादा फेमस है। पहाड़ी त्योहारों के दौरान भट्ट की चुरकानी जरूर बनाई जाती है। इस डिश की मुख्य सामग्री चावल का पेस्ट और काली भट्ट या सोयाबीन है। इस डिश को चावल और घी के साथ परोसा जाता है।
शब्दों में कहो तो, ठंड हो या गर्मी हो या हो बारिश, सुबह हो या शाम, बहुत कुछ है नैनीताल की हवा में, फ़िज़ा में, वयार में और पहाड़ी व्यंजनों में.