Water Crisis: बिना जल स्रोतों या नदियों के कैसे जीते है दुनियाँ में ?
“जल ही जीवन है” यह आपने कई बार दीवारों पर या पानी के संचय के स्थानों पर या सरकारी पानी की टंकियाँ पर लिखा देखा होगा, लेकिन इस वाक्य के मूल में न तो आपने कभी सोचा होगा और न ही इसके अर्थ के लिए अपने दिमाग पर जोर दिया होगा।
इस वाक्य को पानी बचाने के लिए एक नारा मात्र समझ कर छोड़ दिया होगा, लेकिन ऐसा नहीं है “जल ही जीवन है” का तात्पर्य जीवन उत्पत्ति से लेकर उसके सुचारु रूप से संचरण के लिए जल की आवश्यता पर ध्यान दिलाने का उदेश्य इन शब्दों में निहित है.
जीवन के अंकुरण और प्रस्फुटित के लिए जल एक महत्वपूर्ण कारक है या यह कहें कि जल या अन्य किसी भी रूप में विद्यमान जल ही जीवन की उतपत्ति का स्रोत है.
पृथ्वी पर सभ्यता के विकास के अवशेषों से ज्ञात होता है की, नदियाँ की जीवन का स्रोत रह है, चाहे वह मोहन जोदड़ो या सिंधु घाटी सभ्यता हो या माया सभ्यता या फिर भारतीय उपमहाद्वीप में आर्य और द्रविड़ सांस्कृतिक सभ्यता का विकास सभी में ही पानी एक प्रथम आवश्यकता रही है.
अवशेषों के अनुसार मोहन जोदड़ो और सिंधु घाटी सभ्यता सरस्वती नदी के विलुप्त होने के साथ ही समाप्त हो गई.
अफ्रीका महाद्वीप में कई हज़ारों किलोमीटर तक पानी की अनुपस्थिति के कारण मनुष्य, पशु या वन किसी भी प्रकार के जीवन के अवशेष तक नहीं हैं.
इतिहास को देखें तो पता लगता है कि, नदियाँ ही सभ्यताओं की जीवन रेखा रही हैं, और सभी आवश्यकताओं के लिए पानी उपलब्ध कराती हैं.
“समाज सेवीओं और बुद्धिजीविओं को निहित स्वार्थ और राजनितिक सक्रियता के स्थान पर जनता के कल्याण की चेतना, और प्रकति को विध्वंश के बचाने में सहयोग करने के आवश्यकता है.”
लेकिन आज की विकसित दुनियाँ में कुछ भू-भाग (देश) ऐसे भी हैं जहां एक भी प्राकृतिक नदी नहीं हैं और वहाँ जीवन सुचारु रूप से चल रहा है और मानव सभ्यता क्रमिक विकास के चरणों को सतत रूप से पार करते हुए आगे बढ़ रही है.
यह देश पानी के लिए वैकल्पिक स्रोतों पर निर्भर रहते हैं. विश्व में करीब 20 देशों में एक भी स्थायी प्राकृतिक नदी का नहीं है लेकिन मौसमी जलस्रोत अवश्य हैं जिनमें पानी संचय हो जाता है और जीवन का आधार बना रहता है.
आइये, पानी की कमी या प्राकृतिक जल स्रोत के आभाव वाले कुछ देशों के वारे में जानते हैं.
वेटिकन सिटी (Vatican City,Rome, Italy, Europe)
वेटिकन सिटी, दुनिया का सबसे छोटा स्वतंत्र राज्य है, लेकिन इसकी सीमाओं के भीतर कोई नदी नहीं है. शहर-राज्य अपनी आवश्यकताओं के लिए इतालवी जल आपूर्ति (Italy Water Supply) पर निर्भर करता है.
अपने छोटे आकार के बावजूद, वेटिकन सिटी सस्टेनिबल वॉटर यूज पर जोर देता है, जिसमें वॉटर सेविंग फिक्सचर की स्थापना और इसके निवासियों और आगंतुकों के बीच कंजर्वेशन प्रैक्टिस को बढ़ावा देना शामिल है.
मालदीव (Maldive Islands, Indian SubContinent)
मालदीव, हिंद महासागर में एक द्वीपसमूह है. चारों ओर समुद्र से घिरे होने के अपने भूगोल के कारण यहां कोई नदी नहीं है. देश अपनी तरह की जल चुनौतियों का सामना कर रहा है. विशेष रूप से बढ़ते समुद्र के स्तर से इसके मीठे पानी के स्रोतों को खतरा है.
मालदीव अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्षा जल संचयन, डिसेलिनेशन और भारत द्वारा भेजे गए बोतलबंद पानी पर निर्भर है. इसके अस्तित्व के लिए जल संरक्षण और टिकाऊ जल प्रबंधन प्रैक्टिस महत्वपूर्ण हैं.
कुवैत (Kuwait, Asia)
अरब की खाड़ी के उत्तरी सिरे पर स्थित कुवैत में नदियां नहीं हैं और उसे अपने पड़ोसियों की तरह ही जल संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. देश डिसेलिनेशन प्लांटों पर निर्भर है, जो इसके ताजे पानी की अधिकांश आपूर्ति करते हैं. कुवैत ने कड़े जल संरक्षण उपायों को भी लागू किया है और कृषि सिंचाई के लिए ट्रीटेड वेस्ट वॉटर का उपयोग करता है.
संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates, Emirates, UAE, Asia)
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), जो दुबई और अबू धाबी जैसे अपने समृद्ध शहरों के लिए जाना जाता है, अरब में एक और बिना नदी वाला देश है.
संयुक्त अरब अमीरात अपनी पानी की जरूरतों के लिए मुख्य रूप से डिसेलिनेशन पर निर्भर है. वो इस विधि के माध्यम से अपने पीने योग्य पानी का लगभग 80% उत्पादन करता है.
देश सिंचाई और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ट्रीटेड वेस्ट वॉटर का भी उपयोग करता है, जिससे मीठे पानी के संसाधनों के संरक्षण में मदद मिलती है.
कतर (Qatar, Peninsular Arab country, Asia)
अरब प्रायद्वीप पर एक छोटे, लेकिन समृद्ध देश कतर में भी नदी का अभाव है. देश की जल आपूर्ति लगभग पूरी तरह डिसेलिनेशन प्लांट से होती है, जो 99% से अधिक पीने योग्य पानी प्रदान करते हैं.
कतर की प्रति व्यक्ति जल खपत दर दुनिया में सबसे अधिक है. इसके यहां जल संरक्षण टेक्नालॉजी में महत्वपूर्ण निवेश और एफिशिएंट जल उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं.
बहरीन (Bahrain, Kingdom of Bahrain, Asia)
फारस की खाड़ी में एक द्वीप राष्ट्र बहरीन में प्राकृतिक नदियों का अभाव है, लेकिन कई झरने और भूजल संसाधन हैं. हालांकि, ये देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं. परिणामस्वरूप, बहरीन काफी हद तक डिसेलिनेशन पर निर्भर है, जो उसे 60% से अधिक ताजा पानी उपलब्ध कराता है.
देश जल-बचत तकनीकों और एफिशिएंट यूज प्रैक्टिस को भी बढ़ावा देता है.
ओमान (Oman, Sultanate of Oman, Asia)
अरब प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित ओमान में कोई स्थायी नदियां नहीं हैं, बल्कि कई घाटियां हैं. सूखी नदियां जो बारिश के दौरान पानी से भर जाती हैं. ओमान इनका उपयोग ग्राउंडवॉटर रिचार्ज के लिए करता है.
देश डिसेलिनेशन पर भी निर्भर है और अपने जल संसाधनों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने के लिए उसने उन्नत सिंचाई तकनीकों को लागू किया है.
सऊदी अरब (Saudi Arabia, Kingdom of Saudi Arabia, Asia)
सऊदी अरब, दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है जहां एक भी नदी नहीं है. अपने विशाल रेगिस्तान के बावजूद, सऊदी अरब ने उन्नत जल प्रबंधन रणनीतियां विकसित की हैं. देश डिसेलिनेशन (समुद्री या खारे जल को पीने योग्य बनाना) पर बहुत अधिक निर्भर करता है.
लगभग 70% पीने का पानी इसी तरह उत्पादित होता है. इसके अतिरिक्त, सऊदी अरब भूमिगत जलस्रोत का दोहन करता है और उसने वेस्ट वॉटर सिस्टम और रियूज्ड वॉटर सिस्टम में काफी निवेश किया है.
दुनियाँ में और भी कई अन्य देश या क्षेत्र हैं जहां पानी के समस्या है , साथ ही जलवायु परिवर्तन ने इस समस्या को और भी जटिल कर दिया है.
विकसित देशों में जल संचय के उत्तम साधन हैं लेकिन, अविकसित और विकासशील देशों में अभी भी मौसमी जल संचय के साधन नहीं है.
जल संचय के सम्बन्ध में जनता का असहयोग, जनता की उदासीनता, स्वार्थपरकता और सरकारों की ढुलमुल नीतियाँ जल संकट को आमंत्रण दे चुकी है , वर्ष २०२४ में भारत के कई क्षेत्रों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ा.
जनता का सहयोग और जल संचय के बारे में जाकरूकता बहुत ही आवश्यक है
“जल ही जीवन है” एक नारा मात्र न रह कर इसको जान आंदोलन में बदलना आवश्यक है.
समाज सेवीओं और बुद्धिजीविओं को निहित स्वार्थ और राजनितिक सक्रियता के स्थान पर जनता के कल्याण की चेतना, और प्रकति को विध्वंश के बचाने में सहयोग करने के आवश्यकता है.